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Dr.Anil Gaikwad

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Female Sexual Problems Treatments

What is Dyspareunia (Painful Intercourse) ? क्‍या है डिस्‍पेरूनिआ?

Female Sexual Problem

संभोग के दौरान पीड़ा होने को मेडिकल भाषा में डिस्‍पेरूनिआ कहा जाता है। इसमें संभोग से पहले, उसके दौरान और उसके बाद यौन अंगों में दर्द महसूस होता है। आज इस पोस्‍ट में हम जानेंगें डिस्‍पेरूनिआ के लक्षण आदि के बारे में।

संभोग के दौरान दर्द महसूस होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे पहले आपको इसके लक्षणों के बारे में जान लेना चाहिए। इसमें पेनिट्रेशन के दौरान यौन अंगों में दर्द महसूस होता है, जलन या अकड़न रहती है और संभोग के बाद भी दर्द रहता है।

महिलाओं को ये समस्‍या ज्‍यादा रहती है और हर चार में से तीन महिलाओं को सेक्‍स के दौरान दर्द से गुज़रना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कि संभोग के दौरान दर्द होने का क्‍या कारण है।

Dyspareunia (Painful Intercourse) - डिस्‍पेरूनिआ के कारण

बहुत ज्‍यादा तनाव – अगर कपल के बीच लड़ाई या झगड़ा हुआ है तो इससे उनकी मांसपेशियों के रिलैक्‍स होने की मात्रा और ल्‍यूब्रिकेशन कम हो जाता है। पेल्विक फ्लोर मसल स्‍पास्‍म्स और बैक्‍टरीरिया संक्रमण से भी नसें जुड़ी होती हैं और ये दोनों ही दर्दभरे सेक्‍स का परिणाम हैं। लेकिन स्‍ट्रेस की वजह से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां सख्‍त हो जाती है और इस वजह से संभोग के दौरान दर्द होता है।

पर्याप्‍त सेक्‍स ना करना – अगर आप एक या दो साल तक सेक्‍स नहीं करते हैं तो भी आपको संभोग के दौरान दर्द महसूस हो सकता है। रोज़ाना एक्टिविटी करने से शरीर के हर हिस्‍से की मांसपेशियां स्‍वस्‍थ और मजबूत रहती हैं। इसी तरह संभोग के दौरान वजाईना की मांसपेशियां भी काम करती रहती हैं। इससे ये मजबूत और स्‍वस्‍थ रहती हैं। नियमित संभोग करने से वजाईना की दीवारें स्‍ट्रेच रहती हैं और मांसपेशियों में लचीलापन बना रहता है।

ल्‍यूब्रिकेंट छोड़ना – वजाईना में सूखेपन के कई कारण हो सकते हैं लेकिन संभोग के दौरान दर्द का ये भी एक कारण है। बहुत ज्‍यादा दवाओं के सेवन की वजह से ल्‍यूब्रिकेशन भी कम हो जाता है और इस वजह से संभोग के दौरान और बाद में दर्द होता है। इसलिए सेक्‍स से पहले ल्‍यूब्रिकेंट से आप लंबे समय तक टिके रह सकते हैं।

मेनोपॉज़ – मेनोपॉज़ से पहले का कुछ समय भी आपकी सेक्‍स क्षमता को प्रभा‍वित करता है। इसमें मुख्‍य कारण एस्‍ट्रोफिक वजाईनाटिस है जिसका मतलब है कि इसमें वजाईना के आसपास के हिस्‍से में पर्याप्‍त एस्‍ट्रोजन नहीं होता है और इस वजह से वजाईना की त्‍वचा में लचीलापन नहीं रहता है और ल्‍यूब्रिकेशन कम होता है।

बैक्‍टीरिया और यीस्‍ट इंफेक्‍शन – किसी भी महिला को किसी भी उम्र में बैक्‍टीरियर और यीस्‍ट इंफेक्‍शन हो सकता है। मेनोपॉज के दौरान बैक्‍टीरिया और यीस्‍ट इंफेक्‍शन होना सामान्‍य बात है। वजाईना में यीस्‍ट इंफेक्‍शन कैंडिडा नामक फंगस की वजह से होता है और वजाईना प्राकृतिक रूप से बैक्‍टीरियर और यीस्‍ट के बीच संतुलन बनाए रखती है। जब यीस्‍ट की कोशिकाएं वजाईना में आती हैं तो इससे सूजन, खुजली और जलन महसूस होने लगती है।

पाचन संबंधित दिक्‍कत – जिन महिलाओं का पेट अकसर खराब रहता है उनमें ये समस्‍या अधिक देखी जाती है। आंते गर्भाशय के बगल में स्थित होती है। इसलिए गर्भाश्‍य के मूव करने पर आंतों में जलन और सूजन होने लगती है। इस वजह से भी सेक्‍स के दौरान पेट में दर्द हो सकता है।

पेल्विक हिस्‍से में गड़बड़ी – इस हिस्‍से में कोई गड़बड़ी होना सामान्‍य बात है लेकिन इसका पता बहुत मुश्किल से चल पाता है। संभोग के दौरान पेल्विक की मांसपेशियां में ऐंठन रहती है और दर्द उठता है। महिलाओं में पेल्विक हिस्‍सा ब्‍लैडर, आंतों और गर्भाश्‍य को सहारा देता है।

एंडोमेट्रियोसिस – इस अवस्‍था में गर्भाश्‍य के बाहर एंडोमेट्रियल टिश्‍यूज़ बढ़ने लगते हैं। कई महिलाएं एंडोमेट्रिओसिस से ग्रस्‍त होती हैं और इस वजह से उन्‍हें सेक्‍स के दौरान असहनीय पीड़ा होती है। हालांकि, एडोमेट्रिओसिस की जगह इसके दर्द के स्‍तर को निर्धारित करती है। इसके सामान्‍य लक्षणों में माहवारी के दौरान पीडा, बहुत ज्‍यादा रक्‍त बहना, बांझपन, सेक्‍स के दौरान दर्द और मूत्र करने के दौरान दर्द महसूस होना आदि शामिल है।

एसटीडी, आईएसडी और पेल्विक रोग – संभोग के दौरान दर्द का एक कारण यूट्रेस में फाइब्रॉएड्स का होना और पेल्विक इंफ्लामेट्री रोग का होना भी है। इसके अलावा ओवरी में सिस्‍ट होने या किसी अन्‍य संक्रमण के कारण भी दर्द रहता है। अगर आपको बहुत ज्‍यादा दर्द होता है तो तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें।

वजाईनिस्‍मस की बीमारी – इस बीमारी में पेनिट्रेशन के दौरान वजाईना की मांसपेशियां तनाव में आ जाती हैं। इसमें वजाईना और पेल्विक मांसपेशियों के बीच अनैच्छिक संकुचन पैदा हो जाता है जिससे बहुत ज्‍यादा तनाव बढ़ जाता है। वजाईनिस्‍मस में मांसपेशियों में ऐंठन बढ़ जाती है और ऐसे में वजाईना में कुछ भी प्रवेश नहीं कर पाता है। ये बहुत पीड़ादायक होता है।

पार्टनर को इरेक्‍शन की समस्‍या – अगर आपके पार्टनर को इरेक्‍टाइल डिस्‍फंकशन की समस्‍या है तो भी महिलाओं को संभोग के दौरान दर्द महसूस होता है। जैसे कि वियाग्रा का सेवन करने से ऑर्गेज्‍म धीमा और लंबे समय तक रहता है लेकिन इसमें कुछ महिलाओं को दर्द महसूस होता है।

 

Treatments Of Dyspareunia (Painful Intercourse) - डिस्‍पेरूनिआ उपचार क्या है?

डिस्पेरुनिया को इलाज से ठीक किया जा सकता है। इस समस्या का इलाज बीमारी के कारणों और दर्द की गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में डिस्पेरुनिया के असर को कम किया जाता है। डिस्पेरुनिया के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :

  1. वेजाइनल ल्यूब्रिकेशन की समस्या को दूर करने के लिए ओस्पेमिफिन दवा दी जाती है। यह दवा वेजाइनल लाइनिंग में एस्ट्रोजन की तरह काम करती है, ऊतकों को मोटा और कम लचीला बनाती है और सेक्स के दौरान दर्द को कम करती है।
  2. मेनोपॉज से गुजर चुकी महिलाओं की योनि में एस्ट्रोजन को सीधे अप्लाई किया जाता है जो ल्यूब्रिकेशन को बढ़ाता है और सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान दर्द को कम करता है।
  3. इंटरकोर्स के दौरान दर्द को कम करने के लिए प्रास्टेरोन दवा का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक कैप्सूल है जिसे रोजाना योनि के अंदर रखा जाता है।
  4. वेजाइनल ड्राइनेस को कम करने के लिए ओटीसी ल्यूब्रिकेंट जैसे के-वाई जेली, रिप्लेंट या एस्ट्रोग्लाइड का उपयोग किया जाता है।
  5. डिसेंसिटाइजेशन थेरेपी- इसमें मरीज को वेजाइनल रिलैक्सेशन एक्सराइज सीखायी जाती है जो योनि की मांसपेशियों में संकुचन और दर्द को कम करने में मदद करता है।

इसके अलावा कुछ मरीजों को सेक्स थेरिपी भी दी जाती है जिसमें सेक्स के दौरान पर्याप्त फोरप्ले करना, पार्टनर के साथ सेक्सुअल बातें करना, सेक्स पोजीशन पर बात करना और पार्टनर के साथ अच्छे तरह से कम्युनिकेट करना और बिहेवियर ठीक रखना आदि सीखाया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं वेजाइनल यीस्ट इंफेक्शन को कम करने के लिए एंटीफंगल दवाएं दी जाती है जबकि यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण और यौन संचारित रोगों को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक दवा दी जाती है। योनि में सूजन को कम करने से सही पोजीशन में बैठकर गुनगुने पानी से नहाना भी फायदेमंद होता है।