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What is Phimosis ?

Erectile dysfunction ( नपुसंकता )

फाइमोसिस (Phimosis) या फिमोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें लिंग की ऊपरी स्किन (Foreskin) बहुत ज्यादा टाइट हो जाती है और  नीचे करने पर वह पीछे की तरफ नहीं हट पाती है। खतना रहित पुरुषों में इस बीमारी के होने के चांसेस बहुत अधिक होते हैं। इससे प्रभावित व्यक्ति के पेनिस की स्किन एक समय के बाद इतनी ज्यादा टाइट हो जाती है कि वह पीछे की तरफ नहीं जा पाती है और ऐसी स्थिति में खतना करवाना ही एकमात्र विकल्प बचता है।

Phimosis Meaning In Hindi – निरुद्धमणि

बच्चों के जन्म के बाद शुरू के कुछ सालों में Glans (पेनिस  का सिरे वाला हिस्सा) और ऊपरी स्किन आपस में जुड़ी होती है। लेकिन स्किन पीछे न हटने के कारण वहां बार-बार इंफेक्शन होने लगता है। इसकी वजह से मरीज को पेशाब करने में परेशानी होती है और साथ ही साथ यौन संबंधित बीमारी (Sexual Transmitted disease) होने का खतरा भी बना रहता है। 

विशेषज्ञों के अनुसार अगर फाइमोसिस का इलाज समय पर नहीं हुआ तो यह प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer) का कारण बन सकता है और ऐसी स्थिति में मरीज के पास सर्जरी ही एक अकेला उपाय बचता है। यह पुरुषों में होने वाला एक गुप्त रोग है जिसकी वजह से मरीज इस बारे में बात करने से शर्माते और कतराते हैं। और इसी हरकत की वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

फाइमोसिस किन कारणों से होता है? (Causes of Phimosis in Hindi)

किसी भी बीमारी के कारणों का पता चल जाए तो आसानी से रोकथाम का उपाय कर सकते हैं। यही बात फाइमोसिस पर भी लागू होती है। इसके भी कुछ कारण हैं जिन्हें जानने के बाद हम इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। 

    • कई बार फाइमोसिस एजिंग (बढ़ती उम्र) के कारण भी हो सकता है। 
    • डायबिटीज के कारण पेनिस के टिप पर इंफेक्शन हो सकता है जो आगे जाकर फाइमोसिस का कारण बन सकता है।
    • सेक्स करते समय फोरस्किन ज्यादा देर तक पीछे रहने की वजह से फाइमोसिस की समस्या हो सकती है। 
    • प्राइवेट पार्ट में पियरसिंग करवाने से भी फाइमोसिस हो सकता है।
    • डायपर की वजह से बच्चों में अक्सर फाइमोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए समय-समय पर बच्चे का डायपर बदलते रहना चाहिए।
    • साफ-सफाई न होने की वजह से भी फाइमोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • जिसको बार-बार यूरिन मार्ग में इंफेक्शन होता है उसे फाइमोसिस होने की संभावना ज्यादा होती है।
    • जब स्किन इंफेक्शन होता है तो उससे फाइमोसिस होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसका इलाज स्किन संबंधित इलाज से किया जा सकता है।
    • एक्जिमा से पीड़ित व्यक्ति को फाइमोसिस होने के चांसेस अधिक होते हैं। इसलिए अगर आपको एग्जिमा है तो तुरंत उसका इलाज कराएं।
    • बिना प्रोटेक्शन के यौनिक गतिविधियां करने से कई सारे इंफेक्शन हो सकते हैं, फाइमोसिस इनमें से एक है। 
    • फाइमोसिस ‘लाइकेन प्लेनुस’ नामक बीमारी की वजह से भी हो सकता है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो इसका इलाज कराएं और साथ ही अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान भी रखें।
    • घाव का निशान: इंफेक्शन से स्किन पर निशान पड़ने की वजह से स्किन खिंच सकती है। टाइट टिश्यू खींचते समय इसे और टाइट बना सकते हैं जो आगे फाइमोसिस होने का कारण बन सकता है।
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फाइमोसिस के लक्षण (Symptoms of phimosis)

किसी भी दूसरी बीमारी की तरह फाइमोसिस के भी कुछ लक्षण होते हैं, जो इसके होने का संकेत देते हैं।

  • आमतौर पर फाइमोसिस में दर्द नहीं होता है, लेकिन सेक्स या पेशाब करते समय दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 
  • फाइमोसिस के कारण स्किन फटने लगती है और उत्तेजना में कमी भी हो सकती है। 
  • पेशाब करते समय होने वाले दर्द को कई बार यूरिन इंफेक्शन का कारण भी समझा जाता है। लेकिन बार-बार ऐसा सोचना गलत है क्योंकि कई बार यह फाइमोसिस का लक्षण भी हो सकता है। इसकी जांच जरूर करवाएं। 
  • फिमोसिस के कारण स्किन की सफाई करने में परेशानी होती है और सफाई न होने की वजह से इंफेक्शन आसानी से हो जाता है। 
  • पेनिस में सूजन फाइमोसिस का लक्षण हो सकता है। 
  • फाइमोसिस होने की वजह से पेनिस पर लाल धब्बे बन जाते हैं।
  • पेनिस में दर्द होना और पेशाब करते समय जलन महसूस करना, फाइमोसिस के लक्षणों में से एक है। 
  • पेशाब से बदबू आना भी फाइमोसिस का लक्षण है। 
  • पेशाब का गाढ़ा बनना।
  • पेशाब के दौरान फोरस्किन फूलना और सूजन आ जाना।
  • पेनिस के अगले हिस्से का रंग बदलते रहना। कभी गहरे लाल तो कभी हल्के नील रंग का होना।
  • फाइमोसिस होने के कारण सेक्स करते समय दर्द या कठिनाई हो सकती है। 

तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें (When to visit doctors for phimosis)

  • अगर यूरिन पास करने में परेशानी होती है।
  • अगर सेक्स करने में दिक्कत आती है।
  • अगर पेनिस में सूजन आ जाए।
  • अगर पेनिस की स्किन फटने लगे।
  • अगर पेनिस पर रेडनेस दिखने लगे तो।
  • अगर बच्चे की 2 साल की उम्र के बाद भी इसके लक्षण कम ना हों तो।